बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज
बवासीर का मुख्य कारण कब्ज का होना है या मल का सख्त होना है ।अतः बवासीर को ठीक करने के लिए कब्ज का ठीक होना अति आवश्यक है ।
समय पर खाना खाएं।
पोष्टिक आहार लें ।
खाना शांति से बैठ कर धीरे-धीरे अच्छे से चबाकर कर खाएं।
फल, जूस और अधिक पानी का सेवन करें ।
नाश्ते में हो सके तो केवल दूध , जूस और फलों का ही सेवन करें ।नाश्ता सुबह 9:00 बजे से पहले कर लें।
दिन के खाने में दही और छाछ का प्रयोग करें। दिन का खाना 12:00 से 2:00 के बीच में ले लें।
रात के खाने में खिचड़ी ,दलिया आदि हल्का खाना खाएं ।रात का खाना 7:00 से 8:00 बजे तक ले लें। जिससे खाना अच्छे से पच जाता है।
रात को सोते समय गर्म दूध के साथ एक चम्मच त्रिफला और ईसबगोल की भूसी अवश्य लें।
यदि दूध की इच्छा न हो तो त्रिफला और इसबगोल गर्म पानी के साथ लें।
बवासीर को जड़ से दूर करने के लिए और पुनः ना होने देने के लिए छाछ सर्वोत्तम है। दोपहर के भोजन के बाद छाछ में चौथाई चम्मच पिसी हुई अजवाइन और 1 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर पीने से बवासीर में लाभ होता है और नष्ट हुए बवासीर के मस्से पुनः उन्त्न्न नहीं होते।
रसंजन वटी या Pilex( himalyan) दोनों में से कोई भी गोली जो भी आसानी से उपलब्ध हो दो-दो गोली सुबह शाम खाने के बाद पानी के साथ लें।
कपूर को 8 गुना अरंडी के तेल में (तेल को थोड़ा गर्म कर आंख पर से नीचे उतार ले) घोल कर रख लें।
दिन में तीन चार बार मस्सों को धोकर और पौंछकर धीरे-धीरे इस तेल को अच्छे से मलें।
इस तेल की नर्मी से मालिश करने से मस्सों की दर्द, जलन और सूईयां चुभने में आराम आता है ।
दो सूखे अंजीर शाम को पानी में भिगो दें। सवेरे खाली पेट उनको खाएं ।इसी प्रकार सवेरे के भिगोए दो अंजीर शाम 4 से 5 बजे खाएं ।एक घंटा आगे पीछे कुछ ना लें ।हर प्रकार की बवासीर में आराम मिलता है ।
खूनी और बादी बवासीर
सूखे नारियल की जटा (नारियल के भूरे रेशे) को जलाकर राख बना लें और छानकर रख लें। इस भस्म को 6 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार खाली पेट डेढ कप छाछ या दहीं (परंतु खट्टी ना हो )के साथ केवल एक ही दिन लें । खूनी और बादी दोनों प्रकार की बवासीर में बहुत आराम पड़ता है ।
आवश्यक हो तो और भी मात्रा ली जा सकती है।
आवश्यकता अनुसार दवाई का सेवन करें।
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