गुस्सा ,चिड़चिड़ापन , झुझझलाहट
यह सभी हमारे शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ने की निशानी है ।इसलिए व्यक्ति को उसी समय पानी पिलाएं ।पानी में ग्लूकोस ,ब्रह्मी ,गुलाब,खस या बेल का शरबत हो तो उसका प्रयोग करें।
उपाय
अविपत्तिकर चूर्ण एक चम्मच
अश्वगंधा , मेघा वटी या नारायण कल्प
जो भी आसानी से उपलब्ध हो एक गोली
उसी समय दें।
बाद में आवश्यकतानुसार दें ।
बच्चों को भी दे सकते हैं ।
अविपत्तिकर चूर्ण आधा चम्मच दें।
पानी की मात्रा बढ़ाएं और उपरोक्त कोई भी शरबत दिन में दो या तीन बार दे सकते हैं।
कई बार पेट में कीड़े होने की वजह से भी चिड़चिड़ापन और झुंझलाहट होती है।
यह अक्सर बच्चों में अधिक होता है।
विडंगासव रात को तो सोते समय
दो चम्मच पानी और दो चम्मच दवाई के साथ दें ।
दूध और दो दूध से बनी कोई भी चीज ना एक घंटा पहले और ना एक घंटा बाद लें।
4 दिन रात को रोज लेने के बाद आवश्यकतानुसार दवाई का सेवन करें।
पेट के हर प्रकार के कीड़ों को समाप्त करने के लिए अति उत्तम औषधि है।
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